तपस्या कर रहें हैं आज, कुछ अंजान राहों की, मुख़ातिब हो नहीं पाए हैं, इन गुमराह राहों की तपस्या कर रहें हैं आज, कुछ अंजान राहों की, मुख़ातिब हो नहीं पाए हैं, इन गुमराह...
और हो सके तो लिख देना वो प्रेम भी जिसने तुम्हारी जिजीविषा को थामे रखा है। और हो सके तो लिख देना वो प्रेम भी जिसने तुम्हारी जिजीविषा को थामे रखा है।
रात के दो पहर ही होते हैं रात के दो पहर ही होते हैं
ये साइट पता नहीं क्यों क्यों? ये साइट पता नहीं क्यों क्यों?
लिख दूँ इश्क़ या दर्द बहा दूँ, लब्ज़ों से अपने हर मर्ज़ बता दूँ। ऐ सनम कह के तो देख ए लिख दूँ इश्क़ या दर्द बहा दूँ, लब्ज़ों से अपने हर मर्ज़ बता दूँ। ऐ सनम कह ...
क्या उन्हें कोई दुख होता नहीं, या जीवन मे वो कुछ खोते नहीं, आखिर क्यों लड़के कभी रोते क्या उन्हें कोई दुख होता नहीं, या जीवन मे वो कुछ खोते नहीं, आखिर क्यों लड़क...